The Sum Total Of Everything!

Saturday, February 09, 2008

१३ - आख़िर में सब शुन्य है।

पहले ही मैं आप से मेरे गलितियों के लिए शमा माँगता हूँमैं हिन्दी भाषा मैं बहुत कमज़ोर हूँशुन्य - आख़िर इसब्रह्माण्ड मैं सब कूच अंत मे शुन्य ही हैज़िंदगी मृत्यु होने पूरा एक चक्कर खतम करता हैहम ने जो भी पायाया खोया सब कूच मृत्यु के बाद कूच मायने नही करताकभी कभी, लगता है की हम व्यर्थ मे ही जीते हैकूचमायनों मे देखा गया तो हमारे यहा होने का कोई मतलब नही है, सब जैसे चीटी जीते है वैसे ही हम भी जीते हैंबसज़िंदगी का चक्र जन्म पर शुरू होकर मृत्यु मे पूरा होता हैशून्यता से शुरू और वहां पुर ही अंत होता है

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home